Header Ads

Saturday, 25 August 2018

InterFaith Sex Story : Muslim Sameer ki behan ki Chudai ki Hindu ne


Real Pic

ये कहानी है एक भाई बहिन की जिनका नाम है समीर और हिना . समीर ने मेरी पिछली कहानिया पढ़ मुझे फेसबुक पर अपना दोस्त बनाया और फिर उसने बताया की कैसे  वो अपनी भी सगी बहिन को रोज रत बिस्टर में लिटा कर चोदता है . बात करते करते बोहुत बार समीर ने अपनी बहिन को चोदते हुए मुझे वेबकैम पर दिखाया . मै भी देख का मुठ मर लेता था .
आइये जरा उसकी बहिन की बारे में थोडा सा बता दू .

एक 18 साल की नाजुक कमसिन कलि जिसको कुछ दिन पहले ही उसके सगे भाई ने खिलाया है . हाथ में भरपूर आ जाने वाली नाज़ुक चूची और उसके ऊपर एक मोती घुंडी जो इतनी सुन्दर है की देखते ही उसको चूसने का मन करता है .. निचे सुराही ही पतली होती कमर, पेट पर जरा भी मोटापा नहीं... मनोकिसी हीरोइन की कमर हो .. और उसके निचे एक चौड़ी सी गांड .. कसम से  दोस्तों कुतिया जब बनती है तो उसकी गांड किसी जन्नत से कम नहीं लगती . दिल तो करता ही उसी के अन्दर घुस जाऊ ...
हलके बालो से घिरी एक  सावली सी चूत दिखती है जो हर हर लंड लेने के लिए कुलबुलाती रहती है , हर वक़्त काम रस बहता रहती है मानो कह रही की हो मुझे अभी यही पटक कर  चोद दो .
जब चलती है तो गांड ऐसे इठलाती है मानो कह रही है , ये मेरी गांड की चाल देख कर तुम्हारी पानी निकल जायेगा ...
अब मै अपनी कहानी पर आता हु और बताता हूँ की पारी जैसी दिखने वाली हिना को कैसे मुझे जैसे 6 फीट २ इंच के शैतान से चोद चोद कर अपनी कुतिया बनाया .
वो शाम जब एक मासों नाजुक कलि एक जंगली शैतान के चंगुल में ऐसी फासी की उसके बाद वो उसके लंड की दीवानी हो गयी .

बात है आज से ३ सप्ताह पहले की जब मेरी पिछली कहानी प्रकाशित हुयी : कैसे मैंने दोस्त की माँ की चुदाई की  , जिसे आप सब ने बोहुत पसंद किया और बोहुत लोगो , भाभियों ने मुझसे मिलना की इच्छा जताई . मै यहाँ ये बता दू दोस्तों की मुझे कई सौ लडको ने भी मेसेज किया की मै किसी का नंबर या ईमेल ईद उन्हें देदु .. मै बताना चाहूँगा दोस्तों ये कभी नहीं हो पायेगा , मैं अपने किसी भी दोस्त का कांटेक्ट नंबर आप किसी को नहीं दे सकता . मै अपने सभी दोस्तों की निजिता की इज्जत करता हु और उनका भरोषा नहीं तोड़ सकता .

जब मेरी समीर से बा सुरु हुयी तो मुझे लगा ये भी किसी का नंबर माँगने ही आया होगा , लेकिन तभी एक दिन मुझे फेसबुक पर समीर का विडियो कॉल आया और मैंने उसके साथ विडियो सुरु किया , और मेरे होश उड़ गए ...
वह एक नाज़ुक सा हाथ समीर के लंड पर चल रहा था और उसको मुठिया रहा था . मैंने भी अपना लंड निकल कर कैमरा पर दिखाया , थोड़ी देर बाद कॉल बंद हो गयी .
समीर ने बाद में बताया की वो काम चालू करके चुदाई नही करता है .
समीर ने  ही मुझे बताया की वो उसकी सगी बहिन और और वो उसे कुछ टाइम से चोद रहा है उसने बताया की कैसे उसकी बहिन मेरी ही कहनियो की फेन और और मेरी कहानी पढ़ कर बोहुत गरम हो जाती है .
ऐसे हम रोज़ बाते करते और एक सप्ताह बाद समीर ने मुझे अपनी इच्छा बताई की वो अपनी बहिन की मुझसे चुदते देखना चाहता है लेकिन शायद उसके सामने उसकी बहिन को शर्म आएगी .
मै दिल ही दिल बोहुत खुश हुआ क्यों ऐसी हॉट एंड सेक्सी कली रोज नहीं मिलती चोदने को . मैंने उसे विश्वास दिलाया की तुम बस मुझसे मिलवाओ उसे बाकि तुम्हारी साडी इच्छाए में पूरी कर दूंगा . समीर ने अपनी बहिन को मुझसे मिलने के लिए मन लिया और अगले हफ्ते वो लोग पुणे आगये मिलने के लिए..
क्युकी वो दुसरे शहर में रहते थे वो दोनों शुक्रवार की शाम को आये और २ दिन मेरे घर ही रहना का प्लान था  . हिना को सिर्फ ये पता था की हम दोस्तों की तेरह मिल रहे है और चुदाई का कोई सीन नहीं .
शाम को मेरे घर की घंटी बजी , मैंने दरवाजा खोला तो देख समीर और हिना खड़े है ... हिना तो तो मै देखते ही रह गया दोस्तों .. मनो मिलने से पहले पूरी तयारी से आई है .. सावले रंग के चेहरे पर एक अलग ही नूर था , बड़ी बड़ी काली आँखे , कान में गोल झुमके , गालो पर लाली और मुझसे नजरे मिलते ही शर्म से नज़रे झुका कर उसका लाल हो जाना..  दुनिया की साडी काम वासना मनो उसके चेहरे पर आगयी थी .. मेरा तो मन कर रहा था की आपभी इसे अपनी बाहों में लेकर इसके रस भरे होठो तो चूस लू .. खेल जो सुरु करना था उसकी शुरुआत मैं तुरंत करदी ..
अन्दर आते मैंने सालो से बिछड़े भाई की तेरह गले लगा का स्वागत किया .. ये सिर्फ इसीलिए ताकि मै हिना को भी स्वागत क बहाने अपनी बाँहों में ले सकू ,,

फिर मै हिना की तरफ मुड़ा , वो थोड़ी घबरायी हुयी थी क्युकी उसे पता था क्या होने वाला है .. और मै उसकी तरफ बाहे खोले बढ़ा और न चाहते हुए भी उसने अपनी बाहे कुछ मुझसे गले लगा लिया..और हम दोनों के  जिस्म एक करंट दौड़ गया मनो..
मेरी चौड़ी मरदाना छाती पर उसकी नाज़ुक , मुलायम चुचियो का दबना .. दोनों के मुह एक हलकी सी आह निकल गयी.., उसको बाहों में लिया तो मनो एक नाजुक की पारी किसी लम्बे चौड़े शैतान की आगोश में आ समायी है ... उसका बदन मुझे किसी रुई की तरह लग रहा था..
दूर खड़ा समीर ये सब देख मुश्कुरा रहा था मनो मुझे शाबाशी दे रहा हो और अपने लंड को थोडा ठीक किया... ये सब देख उसका लंड खड़ा होने लगा था ..

तभी मै और हिना अलग हुए.. हिना का चेहरा शर्म और हया से एक दम लाल हो गया था वो वो वही नजरे झुकाए कड़ी रही .. मैंने फिर उन दोनों को उनका कमरा दिखाया और फिर दोनों थके हुए थे तो सोने चले चले गए ..

इसके बाद  जो भी हुआ वो मेरे बनाये प्लान के हिसाब से था जो मै समीर को व्हात्सप्प पर मेसेज कर कर बताता गया और वो करता गया .. कुछ यु था सब

जब वो  दोनों उठे तो शाम हो चुकी थी और हिना तो समीर से हम तीनो क लिए चाहिए बनाने को कहा.. अब हिना ने भी कपडे बदल कर एक टाइट पजामा और एक टीशर्ट दल ली थी..
हिना किचन में चाय बना रही थी .. और किचन में कमरे से साफ साफ दीखता है लेकिन हिना ने ध्यान नहीं दिया की मै वह से उसे देख रहा हूँ .
तभी पीछे से समीर आता है धीरे से हिना को अपनी बाहों में ले लेता है.. हिना थोडा घबराती है लेकिन समीर कुछ बोल कर चुप करा देता है.. अब इस वक़्त हिना की गांड मेरी तरफ थी और समीर का मुह.. वो उसके होठो को बुरी तरह चूस रहा था और उसकी पीठ पर अपने हाथ सहला रहा था.. और तभी उसने हिना की चौड़ी और बहक रसीली गांड को दबोच लये.. हिना चिहुकी और हटने की कोशिश की लेकिन समीर ने जाने नहीं दिउया.. और ऐसे करते करते वो दोनों घूम गये..
अब समीर की पीठ मेरी तरफ थी और हिना और समीर एक दुसरे की किस कर रहे थे.. जैसे ही समीर ने हिना के बूब्स पर हाथ रखा हिना ने एक आह की और किस चोद समीर से गले लग उसे कास कर पकड़ लिया मानो उससे दबरदास्त नहीं हो रहा..

मै ये सब देख अपने कमरे के दरवाजे पर आगये  और अपने कच्छे के ऊपर से अपना खड़ा लंड सहलाने लगा.. तभी हिना की नज़र उठी और उसने मुझे देखते हुए पकड़ लिया..
उसकी तो मानो सिट्टी पिट्टी गुम हो गये.. उसने मुझे लंड सहलाते हुए देखा.. एक बार उसकी नज़र मेरे लंड पर भी गयी.. तभी मैंने उसको देख कर एक स्माइल दी और फिर कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया..

करीब १५ मिनट बाद में बहार निकला तो हाल में चाय तैयार थी और दोनों टीवी देख रहे थे . मुझे देखते ही समीर खुश हुआ और हम चाय पिने लगे .. अब मुझे चूर नजरो से हिना से नजरे मिलाने लगा.. हम दोनों के बिच एक अलग तरह की खेल शुरू होने लगा था.. एक दुसरे को देख कर हम समझने लगे थे.. उसका राज मुझे पता चल गया था .. नजरे मिलते ही वो शर्मा जाती और मै बार बार उसे स्माइल देता ...

रात हुयी तो मैंने मूवी लगा दी और सभी बत्तिय भुझा कर हम तीनो एक फिल्म देखने लगे.. मैंने और समीर ने जान्भूझ कर हिना को बिच में बिठाया था .. शायद अब वो भी इस खेल का आनंद लेने लगी थी.. थोड़ी खुल गयी थी .. शायद उसे एहसास होने लगा था की घर से इतना दूर बंद कमरों में कुछ भी होगा तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा..
शायद उसे मेरे ऊपर भरोषा होने लगा था ..
सोफे पर तीन लोगो की जगह थी और काफी जगह थी लेकिन मै और समीर जान बुझ कर थोडा हिना से चिपक कर बैठे थे .. थोड़ी देर बाद मुझे कुछ हरकत महसूस हुयी ,, और हिना थोड़ी असहज लगी , मानो समीर को मन कर रही हो .. मेरे दिमाग में  हजार तेरह की हरकत आने लगी..
समीर हिना के चुचे दबा रहा है या वो उसकी कमर और जांघो पर हाथ फिरा रहा है ... या कही उसकी हिना का हाथ अपने लंड पर तो नहीं रख दिया..

तभी मैना हिना से बोला एक भरी से आवाज में : क्या हुआ हिना.. सब ठीक है न ..
हिना शर्मा गयी और न चाहते हुए भी बोली : जी जी कुछ नहीं..
अब मुझे मज़ा आने लगा था.. सिर्फ हिना को लग रहा था की जो हो रहा हो वो किसी को नहीं पता.. लेकिन मुझे और समीर को सब पता था .. दोस्तों किसी को अपनी कामवासना में फ़साना का समय सबसे कामुक होता है ...
मै धीरे से बोला : सब दिखा रहा है मुझे हिना.. हाहा
हिना बोली : ह्म्म्म
मै बोला : तुम्हारी जैसे सुन्दर और हूर को यही लंगूर मिला था .. तुम्हे तो मेरे जैसा मर्द चाहिए .. लम्बा चौड़ा .. ये तो किसी लायक नहीं ..

दोस्तों औरत में बस यही एक कमी होती है.. उन्हें जब भी कुछ बेहतर मिलता है तो वो अपने आप पर काबू नहीं रख पाती और उसे पाने की कोशिश में सब खो देती है ..
अब हिना बोला : हम्म.. ऐसा नहीं है.. समीर बोहुत अच्चा है ..
मै बोला : नहीं.. एक तो वो तुम्हारा भाई है .. दूसरा अपना हुस्न देखो और इसे देखो.. तुम्हारे लायक ही नहीं... तुम्हे मेरी होना चैये चाहिए..
वैसे तुमे मै कैसे लगता हु .
हिना फास गयी.. उसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी शायद,... क्युकी समीर से बोहुत अच्चा दीखता हु..
हिना : आप तो हीरो जैसे दीखते हो..
मै : तुम कोनसा हेरीओने से कम हो हिना.. मेरी हो जाओ.. हम दोनों एक दुसरे के लिए ही बने है..
ये सब बिलकुल दबी आवाजो में हो रहा था ... उधर समीर भी हिने के जिस्म से खेल उसकी आग को भड़का रहा था ....
तभी मैंने हिना के हाथ पर अपना हाथ रख दिया ...पहले वो चौक गयी और मेरी तरफ देखा.. कुछ इंचो के फासला था दर्मिया  ..
हिना बोली  की समीर के सामने नहीं..
मै बोला : ठीक है मै समझ सकता हु...लेकिन मैंने हाथ नहीं चोदा .. और धीरे धीरे उसका हाथ सहलाने लगा.. और वो भी मेरी तरफ झुक गयी. मनो प्यार में दोनों एक दुसरे में खोये..
समीर को बस हिना क जिस्म से मतलब था.. लेकिन मैं हिना के दिल में उतर रहा था ....

इधर मै हिना को प्यार की बातो में उतर रहा था उधर समीर अपना काम कर रहा था.. तभी समीर ने हिना का हाथ अपने लंड पर रख.. उसे मुठ मरने को कहा..
हिना उसकी मुठ मर रही थी..जिसके कारन उसका शारीर हिलने लगा.. मुझे समझते देर न लगी और मैंने पुच लिया
क्या कर रही हो हिना..
हिना शर्मा गयी .. और धत्त्त बोल कर चुप गयी.. समीर अब सोफे पर पीछे होकर बैठ गया और हिना की मुठ मरने को महसूस कर रहा था.. हिना का शारीर अब मेरा था...
मैंने मौका देख हिना की कमर में अपना हाथ दाल दिया और वो भी एक माशूका की तरह मेरी छाती पर सर रख मुझमे खो रही थी ..और उधर समीर का लंड भी हिला रही ठिया...मैंने धीरे धीरे अपने हाथ से हिना की कमर पर सहलाना शुरू किया.. इस्श्ह्ह ऐसा मत करो.. कुछ होता है मुझे .. हिना बोली

लेकिन मै मन नहीं .. और फिर..धीरे धीरे मै हिना की पुरे जिस्म पर अपने हाथ को हलके हलके फिरने लगा.. वो हलकी छुवन बोहुत काम को आग लगाती थी.. हिना का पकड़ मेरे हाथ पर अब कसने लगी थी... मनो उसकी जिस्म की आग अब भड़क रही हो ..तभी शायद समीर झड़ने वाला था और वो हिला.. तो हम अलग हो गए..

वो बोला मै अभी आता हु ,,: और वो मुठ मरने के लिए बाथरूम चला गया...

उसके जाते ही तोहम दोनों ने एक बार एक दसूरे की आँखों में देखा और फिर एक साथ एक दुसरे पर टूट पड़े.. जन्मो के प्यास की तरह एक दुसरे को चूस रहे थे ..
एक दुसरे को कास कर बाहों में ले चूमे जा रहे थे,,मेरा हाथ हिना के जिस्म के हर कोने में घूम घूम कर उसका नाम ले रहा था .
जैसे ही मैंने उसकी चुचियो पर हाथ रखा.. एक बड़ी सी आह निकली हिना के मुह से ...अह्ह्हह्ह्ह्ह रोहित्त्तत्त ... उसके निपल्स एक दम कड़क हो गए थी... मैंने हलके से उनको दबाया तो हिना का पूरा शारीर अकड़ गया.. सही कहा किसी से.. कम उम्र में जिसमे की आग बोहुत तेज़ी से और बोहुत ज्यादा भड़कती है

फिर उसकी आवाग गू गू कर निकल रही थी क्युकी मैंने उसके होठो की फिरसे चुसना सुरु कर दिया..

तभी दरवाजा खुलने की आवाज हुयी और हम दोनों ठीक हो कर बैठ गए,, दोनों की सांसे बोहुत भरी हो चली थी ....तभी मैंने समीर को इशारा किया और वो कुछ हिना के कान में बोला और फिर मुझे बोला : मुझे नींद आरही है दोस्त माँ चला सोने..
मैंने बोला. : ठीक है मै और हिना तो फिल्म पूरी करके ही दम लेंगे.. क्यों हिना
हिना ने मुझे एक कामुक मुश्कान दी और थोडा चहक कर समीर को बोली की हा मै बाद में आउंगी.. तुम सो जाओ ..
और समीर चला गयी सोने ...
समीर के जाने कुछ देर अक हम दोनों उसके सोने का इन्तेजार करने लगे..  करीब १० मिनट बीत चुके थे..
मुझे अब और देर करना ठीक न लगा...
मैंने हिना को अपनी बहू में लिए और  उसी सोफे पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया.. एक छोटा का हिना का शारीर अब मेर जानवर जैसे बड़े शारीर के निचे कशमशा रहा था...
उसकी गोल एंड जवान चुचियों का मेरी बड़ी और चौड़ी छाती की निचे कचूमर निकल रहा था.... उसके दोनों हाथो को मैंने ऊपर कर उन्हें पकड़ रखा था मानो उसे मुझे छोने की इजाजत नहीं ..और मै उसके पुरे शारीर को रौन्द रहा था  .
शायद उसकी चूत ने पानी चोदना सुरु कर दिया था क्यों की एक मादक गंद आरही थी मुझे उसके शरीर से जो बढती ही जा रही थी.. उसमे मेरे अन्दर के जानवर को और जगा दिया..

मुझे अब और न रुका गया.. हिना भी बिलकुल गरम थी .. मै तुरंत उसकी टीशर्ट और पजामा उसके शारीर से अलग कर दिया .. अब वो एक लाल ब्रा में मेरे सामने थी .. और लाल पंटी ..



मैंने उसके दोनों हाथो को ऊपर खीच उसी की टीशर्ट से बांध दिया.. वो मुझे सवालिया नज्र्रो से देखनी लगी.. मैंने कोई जवाब नहीं दिया... लेकिन
तभी मेरा ध्यान समीर के कमरे की तरफ गया.. दरवाजा हल्का सा खोल हम दोनों को चुदाई वो छुपकर देख रहा था....
और अपना लंड निकले मुठिया रहा था...

फिर धीरे धीरे मैं उसे चूमने लगा.. उसको होठो को कुछ मिनट चूसने क साथ अब में उसको कानो को चाटने लगा.. कानो के पीछे का हिस्सा.. वो चिहुक उठी.. लेकिन हाथ बंधेहोने के कारन कुछ कर न सकी.. वो मुझे चूमना चाहती थी.. लेकिन मै उसकी कान चाट रहा था..
फिर मैंने उसकी गर्दन पर हमला किया.. हलकी गरम साँस जो उसकी सुराही दार गर्दन पर मैंने चोदी ..वो काम वासना अब बढती जा रही थी.. शायद आज से पहले कोई असली मर्द नहीं मिला था उसे.. जो औरत को सही तरीके से इस्तेमाल करना जनता हो.. सरे मर्द बस घुसा कर हिलाने को सेक्स समझ लेते है...

लेकिन आज हिना को मै असली दुनिया दिखा रहा था.. और वो अपना सर इधर उधर कर रही थी .. उसकी बरदास्त से बहार हो रहा था सब..
तभी गरदन चोमते हुए.. मैंने अपना एक हाथ.. धीरे से उसकी पेट पर उंगलियों से उसका नाम लिखा.. हर छुवन पर उसका पेट थरथरा रहा था..
और मैंने उस पर अगला हमला किया.. धीरे धीरे.. अपनी उंगलिया उसकी योनी की तरफ ले गया...
इस एहसास ने उसे बेचैन कर दिया...
ह्म्म्मम्म. रोहिट...नह्ही... आह्ह्हह्ह..
और तभी मेरी उंगलिया को बोहुत गिला हिस्सा मिला..
उसकी पेंटी पूरी तरह चूत के आसपास गीली हो चुकी थी..और शायद वो शर्मा रही थी .. मैंने उसकी चूत की पुरे हाथ में दबोच लिए ...और दो तीन बार मसल दिया मनो उसका जूस निकल रहा हु..

हिना के मुह से एक चीख निकल गयी... आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह...ओह्ह...नही.....
और उसके सब्र का बाढ़ टूट गया.. उसका शारीर जोर जोर से हिलने लगा और उसने चूत ने अपना कामर्स उगलना सुरु कर दिया...
वो मनो तड़प रही थी... उसकी आखो में लाली चाही थी... वासना से भरी आँखे बस मेरे तरफ देखे जा रही थी थी मानो मैंने उसे ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी दे दी हो..
करीब २० सेकंड्स तक हिना झडती रही.. उसके बाद उसक शारीर ठंडा पद गया ...मैंने भी उसके हाथो को खोल आजाद कर दिया ...
अगले ही पल वो उठ कर मुझे कूद पड़ी.. और मुझे बेतहाशा चूमने लगी.. मेरे होठो की.. मेरे माथे को.. हर तरफ...

कुछ देर बाद वो शांत हुयी और मुझे देख कर बोली : रोहित जो तुमने मुझे आज मेशूस कराया है वो मैंने आजतक नहीं किया.. हिना आज से तुम्हारी हुयी ...

मुझे अपना बना लो रोहित .. इतना प्यार था उसकी बातो में.. आखो में वासना..
मै फिर अपने काम पर लग गया.. और वापिस उसके शारीर से खेलना लगा..

फिर मैंने धीरे से उसके बदन से पेंटी खीचनी शुरू की.. जैसे ही पेंटी उसकी चूत से निचे उतारी.. आआह्ह्ह्ह.. एक सुगंध मेरी नाक में आई.. उसके रस की सुगंध...
४-५ इंच से देख रहा था मै ये सुन्दर नज़ारा .. हलके हलके रोवे जैसे बाल ... दो काले रंग के चूत के फांके ,,, बिच में मोती से गाँठ ,, ऐसे फिलू मनो मुझे खा जाएगी ...
पूरी चूत काम रस से सनी.. चमकता हुआ काम रस मुझे अपनी और खीच रहा था और मुझसे रुका न गया , मैंने अपनी जबान से उस काम रस से भरी चूत का चाट लिए...

नहीईई... रोहित्त्त्तत्त....आआअह्ह्ह्ह.... ओह्ह्ह्ह माआअ....
 हिना एक बार फिर ऐठ गयी..
लेकिन मै उसकी चूत का काम रस पिए बिना उसे चोदने वाला नहीं था.. वो आआह्ह्ह.. आःह्ह्ह.. कर रही थी.. मनो अब उसे फर्क नहीं पढता अगर समीर देख भी लिया था..
उसकी मादक आवाज अब पुरे कमरे में गूँज रही थी ...

रोहित्त्त्त... आआअह्ह... ह्म्म्मम्म..म्मम्मम्म.. मा.. आआअह्ह्ह्ह.

उसने मेरे सर को हाथो से पकड़ लिया..
मै धीरे धीरे दोनों हाथो से उसकी चुचिया दबा रहा था..बिच बिच में उसकी निप्पल मसल देता तो वो मचल कर चीख पड़ती थी...
उसके मुह से अब बस मेरा नाम ही निकल रहा था.. वो अपने होश में नहीं थी अब..

अह्ह्ह... रोहित... ..म्मम्म... मम्म...
..
तभी उसके सब्र का बांध टूट गया और बोलो .... रोह्हित्त्त्त...मुझसे अब नहीं रुका जाता.. करो न..

मै बोला :: खुल कर एक बार बोल्दो क्या करना है..
उसे कोई होश नहीं था...वो तुरंत बोली.. चोद दो मुझे..  मै तुम्हे अपने अन्दर महसूस करना चाहती ही...

वो मेरे पजामे में हाथ दल कर मेरा लंड पकड़ने लगी.. मुझसे  भी अब और सब्र न हुआ..
तुरंत मैंने अपना लुंड बहार निकला और उसकी दोनों टैंगो को मोड़ कर ऊपर कर दिया जिससे उसकी रस से भीगी गद्दे दर चूत मेरे लंड के ठीक सामने आगई...

मैंने अपने लंड को उसकी चूत के मुह पर रखा... तो उसने आखिएँ बंद करली...मैं घुसाया नहीं और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ दिया.. वो फिर मचल उठी...
आखे खोल मेरी तरफ देखो.. दोस्तों जो नशा और हवास इस वक़्त हिना की आखो में थी.. सायद कमजोर दिल वाले ये देख कर ही झड जाये...

वो फिर बोली ...आआअह्ह्ह्ह रोहित... अब मत तडपाओ.. करो ... आह्ह्हह्ह
मैंने अब लंड उसकी चूत पर फिर लगाया और एक जोरदार झटका दिया..  चिकनी चूत होने के कारन उसकी गरम वादियों में मेरा लंड घुसता चला गया...
और उसके मुह से निकले एक जोर दर चीख.. सायद किसी पडोसी ने भी सुन न ली है.. और समीर ने भी...

लेकिन शायद अब हिना को असली मर्द मिला था.. इसीलिए अब उसे समीर के देखने न देखने से फर्क नहीं पढ़ रहा था ...
मैंने समीर को इशारे अन्दर आने को कहा.. और वो धीरे से आकर हिना के बाजु में बैठ गया..
हिना ने उसे देखा लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ा.. वो अपनी चुदाई में मस्त थी...

समीर से हिना के होठो की चूम लिया... और वह से उठा हिना की कमर के पास आकर बैठ गया और घूर घूर का लंड अन्दर बहार जाता देखने लगा..और निचे अपना लंड मुथियने लगा...

उसमे मेरे कंधो को दोनों हाथ से कास कर पकड़ लिया.. मेरा हर  झटका उसके शरीर में करंट ला रहा था...

फिर मै एक जोर दर चुदाई में लग गा.. थाप थाप्प.. उसकी चूत में अन्दर बहार हो रह था मेरा लंड...

अह्ह्ह्हह....हिना......रंडी.है तो मेरी.....
ह्ह़ा.... हा. रोहित.... मै बस तेरी हु आज से... जो आप कहो...
तू मेरे बच्चे पैदा करेगी कुतिया.... बिना शादी के...तू रखैल रहेगी मेरी...

अह्ह्ह्हह्ह... हा रोहित... मै रंडी हु तेरी... बस चोदो मुझे...
थाप्प.. ठप्प... फ़च्छ.. फच...फ़च्छ..... आवाज से कमरा गूँज रहा था ...

बिच में वो फिर एक बार झड गयी .....लेकिन कुछ ही पालो में फिरसे ताल  से ताल मिला कर मेरा साथ दे रही थी ...

अब मैंने उसे उठाया.. और सोफे के किनारे से उसे झुका कर खड़ा कर दिया.. इस वक़्त सोफे पर पूरी तरह झुकी हुयी थी.. देखने वालो के लिए मानो झुक कर वो अपने ही घुटने को चूमना छह रही हो.. लेकिन सोफे का एक साइड उसके बिच था..
ऐसा करने से उसकी गांड उचक कर बहार आगयी एंड और चौड़ी लगने लगी...

अब मै भी झड़ने के करीब पोहुचने वाला था तो मैंने भी ड्रावर में से कंडोम निकला और पहन लिया.. जैसे ही वापिस ..देखता हहु... समीर कुतिया की झुकी हिना के पीछे बैठ उसकी चूत चाट रहा है..
उसने चाट चाट कर सारा रस साफ कर दिया....जैसे ही मै आया .. उसने हाथ बाधा कर मेरा लंड पकड़ लिया और थोडा से मुठिया कर फिर कड़क कर दिया...

मनो अपनी बहिन को चुदवाने की तयारी कर रहा ही.. तभी उसने मुझे लंड चोस्सना सुरूर किया. जिससे पूरा लंड थूक से चामल गया.. और फिर अपने हाथ मेरा लंड उसकी चूत पर लगा दिया...
मैंने भी थाप करके एक झटके में घुसादिया लंड.. हिना फिर दर्द और मस्ती से दोहरा गयी..

आआह्ह्ह... धधीरे....
फिर अगले ५ मिनट.. मेरी जिंदगी की सबसे घमासान चुदाई हुयी....

मै हिना के पीछे से उसको चोद रहा था.. हर चोट के साथ उसका पूरा सह्रीर हिलता था... कमरे में थाप्प.. ठप्प.. फच.. फच.. आवाजे गूँज र्रही थी...

अब मै झड़ने क करीब आ रहा था.. ममै और तेजी से उसे चोद रहा था...

हिना भी झड़ने के करीब थी... तभी मैंने अपना लंड बहार निकला.. कंडोम हटाया और उसकी गांड के छेद और चूत के मुह पर ऊपर सब उगल दिया...

हिना भी वही डेह गयी.. उसकी शरीर में जान नहीं बची थी.. न ही मेरे..
मै भी वही सोफे पर गिर गया...

नीद की आगोश में जा रहा था मै.. औ हिना भी... बंद आखो से मै देख रहा था की.. समीर एक बार फिर हिना के पीछे गया और उसकी चूत और गांड से मेरा वीर्य चाट चाट कर साफ़ कर रहा था... वो साफ करने के साथ.... उसने मेरा लंड भी चूस कर साफ दिया...
इसके आगे मै सू गया.. सुबह आख खुली तो मै बिस्तर में था... मेरा बाजु में मेरे हुस्न की मल्लिका हिना बिलकुल नागनी सो रही थी...
..फिर हमें २ दिन बोहुत चुदाई की और कुछ पिक्स भी ली जो मेरे फेसबुक ईद पर है,..वो आप भी देख सकते है..


दोस्तों ये थी मेरी , समीर हिना की सच्ची कहानी , फेसबुक पर देखिया हिना की पिक्स.
.. कैसे लगी कहानी  मुझे कमेंट में जरूर बतिय तभी मेरी अगली कहनी गुरूजी जल्दी प्रकशित करेंगे...


मेरे बारे में यहाँ जाने :
मुझे प्लीज किसी का नंबर या ईमेल न मांगे ..
आप मुझे ईमेल BabnaamIshk@gmail.com पर करे

पर जुड़े अगर आप भाभी या आंटी है , बीट जो अपनी बहिन /माँ को मेरे साथ देखना चाहता है , या पति जो अपनी बीवी मेरे साथ देखना चाहता है..

1 comment:

  1. Sagi bahen ko chodne ka bhai ka haqq hai koi nakhre kiye bina.

    ReplyDelete